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							indian_groom
							 
								Guest 
							 
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									   «Reply #302 on: August 08, 2008, 02:10:09 PM »   | 
								 
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 मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  तुम Mआ 1स्ट्रीट डिविषन हो, मैं हुआ मेट्रिक फैल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  तुम फ़ौजी अफ़सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हून,  तुम राबड़ी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सप्रेता हून,  तुम आC घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेता हून,  तुम नई मारुति लगती हो, मैं स्कूटर लमरेता हून,  इस कदर अगर हम च्छूप-च्छूप कर आपस मे प्रेम बढ़ाएँगे,  तो एक रोज़ तेरे डॅडी अमरीश पूरी बन जाएँगे,  
  सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जैल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हून गडहे की नाल प्रिय,  तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखो की हड़ताल प्रिय,  तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं अलमुनिूम का ताल प्रिय,  तुम चिकन-सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली डाल प्रिय,  तुम हिरण-चाओकाडी भारती हो, मैं हून कछुए की चाल प्रिय,  तुम चंदन-वॅन की लकड़ी हो, मैं हून बबूल की चाल प्रिय,  
  मैं पके आम सा लटका हून, मत मारो मुझे गुलेल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  मैं शनि-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कंचन काया हो,  मैं टन-से मान-से कांशी राम, तुम महा चंचला माया हो,  तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हून,  तुम राज घाट का शांति मार्च, मैं हिंदू-मुस्लिम दंगा हून,  तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफा अजंता की,  तुम हो वरदान विधाता का, मैं ग़लती हून भगवनता की,  
  तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की तेलम-तेल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  तुम नई विदेशी मिक्शी हो, मैं पत्थर का सीलबत्ता हून,  तुम आख-सैंतालिस जैसी, मैं तो इक देसी कटता हून,  तुम चतुर राबड़ी देवी सी, मैं भोला-भला लालू हून,  तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिड़ियाघर का भालू हून,  तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं व.प.सिन्घ सा खाली हून,  तुम हँसी मधुरी डिक्सिट की, मैं पोलीस्मॅन की गाली हून, 
  कल जैल अगर हो जाए तो दिलवा देना तुम बैल प्रिय,   मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितारा होटेल हो,  मैं महुए का देसी तर्रा, तुम रेड-लेबल की बोटेल हो,  तुम चित्रा-हार का मधुर गीत, मैं कृषि-दर्शन की झाड़ी हून,  तुम विश्वा-सुंदरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाड़ी हून,  तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलिफोन वाला चॉंगा,  तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हून घोंघा, 
  डूस मंज़िल से गिर जाऊगा, मत आयेज मुझे धकेल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  तुम सत्ता की महारानी हो, मैं विपक्षा की लाचारी हून,  तुम हो ममता-जैलालिता सी, मैं क्वारा अटल-बिहारी हून,  तुम तेंदुलकर का शतक प्रिय, मैं फॉलो ओं की पारी हून,  तुम ग़ेत्ज़, मातीज़, करॉला हो मैं लेलॅंड की लॉरी हून, 
  मुझको रेफ़री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय, 
  मैं सोच रहा की रहे हैं काब्से, श्रोता मुझको झेल प्रिय,  मुश्किल है अपना मेल प्रिय, ये प्यार नहीं है खेल प्रिय. 
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