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- Hamare mukaddar mein hai.
- मोहब्बत
- तुम सुकून हो ,,,saahill
- आंखों से छू लेने ,,,saahill
- खामोश रहना है ,,,,, saahill
- तुम्हे पता है ,,,, saahill
- यकीन ,,,,saahil
- intzaar,,,saahill
- तुम हमें भुला ,,,saahill
- alfhaaz,,,,Saahill
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Hamare mukkadar mein hai, dard ko shahed samakhkar pee jana, Tumhare mukkadar mein hai, hamare khoon ko pee jana Khuda hum dono par rehmat farmaye, kisi tarah se hum mar jaayen aur tu khushi se jee jana
कर लो शिकवा, हम तो कब से इंतज़ार में बैठे हैं, बस प्यार का यही हुनर तुमको नहीं आता। समय पर पहुंच जाती हो हर वक्त, तुमको लड़कों को परखना नहीं आता।
छूपा लेती हो मेरे हर एक ऐब को, तुमको सुकून तलाशना भी नहीं आता। मान लेती हो सच मेरे हर झूठ को, तुमको लड़ना झगड़ना भी नहीं आता।
जानता हूँ कर स...
तुम सुकून हो दिल का ,, धड़कने इस लिए बेचैन हैं
आंखों से छू लेने दो मोहब्बत को ,,,, मेरे हाथ तुम्हारी रूह तक नहीं जाते
खामोश रहना है मुझे महफिल में ,,, तुम्हे कोई मेरे लफ्ज़ों में सुने ये गवारा नहीं
[/तुम्हे पता है सांसें तो हैं ,,, मगर जीने के लिए तू चाहिएb]
हम ऐसे ही नहीं करते रहे इंतजार ,,,, तुम्हारे इनकार पर हमे यकीन नहीं था
अब पता चला वो तुम हो ,,, जिसे लोग इंतजार कहते हैं/color]
हम तुम्हे याद आएं यह मुमकिन नहीं ,,, तुम हमें भुला दो यह ना मुमकिन है
मोहब्बत क्यों ना होगी पढ़ कर ,,,, हर अल्फ़ाज़ में लिखा है तुमको
थम जाती है सांसें दूर जाते ही तुम्हारे ,,, पता नहीं तुम मोहब्बत हो या ज़िन्दगी
इतनी जगह नहीं मेरे दिल में ,,, वहां तुम्हे रखूं या तुम्हारे इंतजार को
इस तरह खामोश रह कर क्या करोगे ,,, हमे निगाहों को पढ़ना आता है
यूं डाल कर आदत अपनी हमें ,,, कहते हो आपकी यह आदत अच्छी नहीं
Shayri bhoolna ye mushkil hai
तुम ख्याल बन कर आओ ज़ेहन में ,,, मोहब्बत लिखने की ख्वाहिश हो रही है
आँखें बंद कर ने को मजबूर करते हैं ,,,,, तुम्हारे ख़्वाब बहुत ज़िद्दी हैं
सुना था मोहब्बत बहुत खुबसूरत है ,,,, तुम्हें देखा तो यकीन हो गया
मत सोच हमें इतना ऐ दुश्मन ,,,, साजिश नहीं मोहब्बत हो जाएगी
बस तुम्हारा ही जिक्र होता है ,,, जब भी मोहब्बत से गुफ्तगू हो
मैं ना चाह कर भी महफिल में खामोश था ,, लोग मेरी शायरी में तुम्हे पढ़ने लगते हैं
कागज़ की कलम से मुलाक़ात नहीं हो रही ,,, अरसे से आपसे कोई बात नहीं हो रही
ना जाने किस लम्हे किया था वादा मिलने का ,,,,, तब से ही वो हसीन शाम नहीं हो रही
कैसी ख्वाबों में दी है दस्तक तुमने,, तब से ही ये मेरी आँख नहीं ...
बस ज़रा से सुकून के लिए ,,,, कितना बेचैन है ये दिल
खयालों में आ कर हमसे लिखवा लेते हो ,,,,, हमे कहां लफ्ज़ों में मोहब्बत लिखनी आती है
सवालों के हल क्या जवाबों में होंगे यहाँ फ़ैसले सौ हिजाबों में होंगे
क़तारों में सड़कों में ढाबों में होंगे हम अहल-ए-जूनूं इन सराबों में होंगे
अभी से न आँखों को बेदार करना सभी मोजिज़े पहले ख़्वाबों में होंगे
जिन्हें चाँद-तारे सियाह कह रहे हैं ब-वक़्...
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