Tarakke aur farj

by NETRAPAL on November 27, 2008, 11:44:03 AM
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NETRAPAL
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मेरे एक दोस्त के पिता एक रिटाय्रर प्रोफेसर है और उस्की माँ सन 1957 की अन्ग्रेजी की पोस्ट ग्रेजुएट है परंतू वह और उसका भाई मेरी ही तरह कोई ज्यादा कामयाब नही हैं१ एक बार मैने उसकी माँ से पूछा आन्टी जी आप और अंकल इतने कामयाब और ये दोन भाई कोई खास क्यों नही कर सके? जबकी मेरे पिताजी एक सधारण से क्र्मचारी थे फिर भी कम से कम मेरे दो भाई अच्छा पढ लिख कर अच्छी अच्छी पोस्टो पर हैं" ये सुनकर उनकी आँखों मे आँसू आगये और बोली "बेटे ये कसूर हमारा ही है, तुम्हारे अन्कल तो लोगों को पी एच डी करवाने मे वयस्त रहे और मै अपनी किटी पर्टी में१ अगर उस वक़्त मै भी बच्चों के पास बैठती और उनकी पढाई लिखाई का ध्यान रख्ती तो मेरे भी बच्चे आज डाक़्टर या इन्जीनीय्रर होते"

आज ज्यादातर पति पत्नी दोनो ही नोकरी करते है और करना जरूरी भी हो गया है क्योंकी आज हमारी आवश्यकता ही इतनी बढ गयी है की एक की नौकरी से घर नही चल पाता है या दोनो जने अपने कैरियर के प्रति इतने अग्रसर होते जा रहे हैं कि अपने परिवार, अपने माता पिता और अपने बच्चों के प्रति अपने फर्ज को भूलते जा रहे हैं१

एक बार् मै और मेरा एक दोस्त दिल्ली उसकी एक बेटी से मिलने उसके हास्ट्ल गये जैसे ही हम उस बच्ची से मिले वह बच्ची खुशी से अपने पापा से लिपट गयी ये देख कर उसकी रूम मेट की आँखों में आँसू आ गए जब हमने उससे इसका कारण पूछा तो जो उसने बताया उसे सुनकर मै दंग रह गया, वह एक पढे लिखे घराने की बच्ची थी और उसकी माँ बाप भी काफी पैसा कमाते थे और उस बच्ची को भी खर्च करने के लिये भी खूब पैसा देते थे पर समय नहीं जिसकी उस बच्ची को काफी जरूरत थी और इतना ही नही ब्लकी उससे मिलने के लिये भी उनमें तकरार होती थी की कोन जाय या किसके पास समय है और अंत में नतिजा यही निकलता था कि उसे पैसे भिजवा दिये जाये१

कहने का तातपर्य यही है कि आज व्यक्ति के पास पैसा है पर समय या अपना पन नही है जो वो अपने परिवाज को दे सके१ गावों में बहुत से लोग कर्जा ले कर अपने बच्चों को डिग्री, डिप्लोमा करवा रहे हैं और नब्बे प्रतिशत् यूवक शहरी वातावरण मे ऐसे रम गये हैं की उन्हे अपना वजूद तक याद नहीं१ अगर गलती से उनका कोई रिश्तेदार या यहां तक की उनके पिता भी मिलने आजाए तो मिलने से कतराते हैं और अपनी नोकरी और अपने छोटे से परिवार मे इतना रम जाते है कि उसे ये तक ध्यान नही रहता की वो अपने पीछे क्या छोड कर आया है १

इन सब बातो से कुछ सवाल मेरे जेहेन में उतर आये है :-

1. क्या माँ बाप जो हमारी हर तरक्की के हिस्सेदार है, जीवन में सफलता पाने पर उन्हे भूला दिया जाये?
2. क़्या अपने छोटे भाई बहनों के प्रति अपने कृतवयों को अपनी पत्नी और बच्चों से कम या या खत्म तो नही समझ रहे?
3. कहीं हम अपने विकास की साथ साथ अपने संसकारो को तो नहीं भूल रहे?
4. विकास या तरक्की का सही मायना क्या है?
5. क्या हम अपनी मंजिल पा कर सही मायने मे खुश हैं?
6. क्या हमे अपनी मंजिल का मालूम है ? या कुछ और के फेर मे हम जो है उसे भी खो रहे है?



Netra_______

if you can't read pl's down load mangal font in your pc
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Pooja
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«Reply #1 on: November 27, 2008, 08:31:25 PM »
bahoot acha thread apne open kiya hai,

yah baat ajj ke zindagio ka sab se bada kadva magar sucha such hai.
ma baap kamyaab hai aor baher busy.. paise hai magar waqat nahi,,,

aor eb to single parents ka waqat atta ja rah ahai,,.. ek akela, job kare, ghar ki jimmedari authaye ya bacho ko home work karwaye,,,, 

kaha se kaha zindagi aaa gai hai aor pata nahi agge kay ahone wala hai
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NETRAPAL
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«Reply #2 on: November 28, 2008, 11:10:49 AM »
bahoot acha thread apne open kiya hai,

yah baat ajj ke zindagio ka sab se bada kadva magar sucha such hai.
ma baap kamyaab hai aor baher busy.. paise hai magar waqat nahi,,,

aor eb to single parents ka waqat atta ja rah ahai,,.. ek akela, job kare, ghar ki jimmedari authaye ya bacho ko home work karwaye,,,, 

kaha se kaha zindagi aaa gai hai aor pata nahi agge kay ahone wala hai

sahee kaha hai aapne pooja ji jindgee ka matlab hee badal gayaa hai.......aaj parivaar simit ho gaye pahale kutumb hote the fir maa baap biwee bachee, aur ab patee patnee or bachee or aaj kal to nar or naree.........service class........

netra...
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