anmolarora
Guest
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एक दिन श्रीमती जी का आसन डोला , मेरा छोटा सुपुत्र आकर मुझसे बोला , मम्मी बुला रहीं हैं ,
चल रहे हो , वरना खुद आ रहीं हैं , कह कर वो भागा , लगा तोप का गोला दागा ,
मैं गया , बोला प्राणप्रिय जल्दी फर्माओ , क्या है दुखखबरी , तुरंत सुनाओ , बोली , मैं करती हूँ एक ऐलान , तुम्हारी, तीन और शादी का फरमान ,
मैं चिल्लाया , किसी तरह ज़िंदगी काट रहा हूँ , रबड़ी तुम खाती हो , दोना मैं चाट रहा हूँ , तीन और आ जाएँगी , तो कैसे जी पाउँगा , तुम सब ऐश करोगी , मैं ज़िंदा लाश रह जाउँगा ,
मैने कहा , हे देवी , दया करो , इस मुश्किल से मुझको जल्द तरो , पिछले दिनों , तुम्हारे लिए साड़ियाँ लाया था , साथ तुम्हारे भाई का सूट भी सिलवाया था ,
देखो सब्ज़ी में नमक ज़्यादा होता रहता है , बर्तन धोते - धोते , कभी हाथ सोता रहता है ,
आदमी तो ग़लतियों का पुतला है , फिर ये किस ग़लती की इत्तला है ,
इस बार आख़िर क्या ख़ाता हो गयी , जिसकी , इतनी बड़ी सज़ा हो गयी , प्रिय , बदले में जो भी कहोगी , करूँगा , अब से पड़ोसन को भी ना देखूँगा ,
वो मुस्कराई , लगा किसी ने बिजली गिराई , अज़ी , क्या ठिठोली कर रहे हो ? यह आज का समाचार पत्र देख रहे हो , इसमे एक खबर आयी है , उनके भारी बहुमत से जीतने की तरकीब बताई है ,
वहाँ एक मर्द है , और चार - चार बीबी , एक दिन और बता रहा था टीवी , देखो नाथ , बहुमत का ज़माना है , यही बात तो मुझे तुम्हें समझाना है , बाद में , जो भी कहोगे वही करूँगी , लेकिन पहले मैं बेनज़ीर बनूँगी ,
अश्क
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