हमने थे होश खोये

by anil kumar aksh on August 23, 2011, 10:19:11 PM
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anil kumar aksh
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हमने थे होश खोये, उनके रूबरू होके ।
उनके भी कदम बहके, तो क्या मेरी खता है ॥
परदे में रुख छिपाए है, ये कैसा प्यार है ।
पल्लू जो सर से सरका, तो क्या मेरी खता है ॥

मेहँदी लगायी पैरों में, तो फूल हँस पड़े ।
बोसा लिया था फर्श ने, तो क्या मेरी खता है ॥
बन चौहदवीं का चाँद, न निकला करो छत पर ।
टकराए कोई बादल, तो क्या मेरी खता है ॥

बिखराई तुमने जुल्फे, मै समझा कि चाँद डूबा ।
तेरा साया मैंने देखा, तो क्या मेरी खता है ॥
लव खुलते ही गिरे थे, फूलों के कई गुच्छे ।
एक मैंने भी उठाया, तो क्या मेरी खता है ॥

ऐसे न सज सवंर कर, तुम अंजुमन में निकलो ।
टकराए कोई आशिक, तो क्या मेरी खता है ॥
तेरे लव को देख कर के, भवरें है कई मचले ।
तेरे लव पे आके बैठे, तो क्या मेरी खता है ॥

अंगड़ाई ना लिया करो, तुमको कसम हमारी ।
फिर तुम ना मुझसे कहना, कि ये मेरी खता है ॥
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ParwaaZ
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«Reply #1 on: August 23, 2011, 10:58:37 PM »
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Aks Sahaab Aadaab!

Waah janab behad khoob ahsaas O khayaal pesh kiye
hai aapne... aur behad khoob kalaam kahi hai.. Usual Smile

बन चौहदवीं का चाँद, न निकला करो छत पर ।
टकराए कोई बादल, तो क्या मेरी खता है ॥

बन चौहदवीं का चाँद, न निकला करो छत पर ।
टकराए कोई बादल, तो क्या मेरी खता है ॥

अंगड़ाई ना लिया करो, तुमको कसम हमारी ।
फिर तुम ना मुझसे कहना, कि ये मेरी खता है ॥


Bahut khoob janab daad daad daad Usual Smile

Likhate rahiye.. Aate rahiye.. Usual Smile
Khush O aabaad rahiye.. Usual Smile
Khuda Hafez Usual Smile         

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sbechain
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«Reply #2 on: August 23, 2011, 11:51:49 PM »
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हमने थे होश खोये, उनके रूबरू होके ।
उनके भी कदम बहके, तो क्या मेरी खता है ॥
परदे में रुख छिपाए है, ये कैसा प्यार है ।
पल्लू जो सर से सरका, तो क्या मेरी खता है ॥

मेहँदी लगायी पैरों में, तो फूल हँस पड़े ।
बोसा लिया था फर्श ने, तो क्या मेरी खता है ॥
बन चौहदवीं का चाँद, न निकला करो छत पर ।
टकराए कोई बादल, तो क्या मेरी खता है ॥

बिखराई तुमने जुल्फे, मै समझा कि चाँद डूबा ।
तेरा साया मैंने देखा, तो क्या मेरी खता है ॥
लव खुलते ही गिरे थे, फूलों के कई गुच्छे ।
एक मैंने भी उठाया, तो क्या मेरी खता है ॥

ऐसे न सज सवंर कर, तुम अंजुमन में निकलो ।
टकराए कोई आशिक, तो क्या मेरी खता है ॥
तेरे लव को देख कर के, भवरें है कई मचले ।
तेरे लव पे आके बैठे, तो क्या मेरी खता है ॥

अंगड़ाई ना लिया करो, तुमको कसम हमारी ।
फिर तुम ना मुझसे कहना, कि ये मेरी खता है ॥


bahut khoob..........!
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MANOJ6568
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«Reply #3 on: August 24, 2011, 12:23:39 AM »
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nice
हमने थे होश खोये, उनके रूबरू होके ।
उनके भी कदम बहके, तो क्या मेरी खता है ॥
परदे में रुख छिपाए है, ये कैसा प्यार है ।
पल्लू जो सर से सरका, तो क्या मेरी खता है ॥

मेहँदी लगायी पैरों में, तो फूल हँस पड़े ।
बोसा लिया था फर्श ने, तो क्या मेरी खता है ॥
बन चौहदवीं का चाँद, न निकला करो छत पर ।
टकराए कोई बादल, तो क्या मेरी खता है ॥

बिखराई तुमने जुल्फे, मै समझा कि चाँद डूबा ।
तेरा साया मैंने देखा, तो क्या मेरी खता है ॥
लव खुलते ही गिरे थे, फूलों के कई गुच्छे ।
एक मैंने भी उठाया, तो क्या मेरी खता है ॥

ऐसे न सज सवंर कर, तुम अंजुमन में निकलो ।
टकराए कोई आशिक, तो क्या मेरी खता है ॥
तेरे लव को देख कर के, भवरें है कई मचले ।
तेरे लव पे आके बैठे, तो क्या मेरी खता है ॥

अंगड़ाई ना लिया करो, तुमको कसम हमारी ।
फिर तुम ना मुझसे कहना, कि ये मेरी खता है ॥
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khamosh_aawaaz
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«Reply #4 on: August 24, 2011, 03:04:55 PM »
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bahut khoob AKA
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+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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