25-2-19
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समज जा, संभल जा,ए खुदाके बन्दे,
ठीक नहीं है,गलत है उनके नापाक इरादे,
खुद तो बैठे बैठे तमाशा देखेंगे,
कुर्सी,होद्दा अपना मान मतरबा बढ़ाएंगे,
ऐशो-आरामकी ज़िंदगी जियेंगे पर तुजे मरवाएँगे।
टीवी,मीडियामें जूठ दिखाकर तेरा brainwash करेंगे,
सामने तेरे जुठे किस्से-कहानिया रखेंगे,
पैसे देंगे,पिस्तौल हथियार तेरे हाथमे थाम देंगे,
ना मानना उसका, ना ही उसकी मतलबी बातोमे आना,
अपना दिमाग चलाना,क्युकी
वो खुद तो बैठे बैठे तमाशा देखेंगे,
कुर्सी,होद्दा अपना मान मतरबा बढ़ाएंगे,
ऐशो-आरामकी ज़िंदगी जियेंगे पर तुजे मरवाएँगे।
जन्नत मिलेगी कहकर तुजे बहकायेंगे,
फ़िज़ूल बातोमे फुसलाकर तुजे मरवाएँगे,
बम-ब्लास्ट करवाएंगे,हाथोमे हथकडिया लगवाएंगे,
जो ना समजे दर्द किसीका,फैलाये आतंकका कोहरा,
ना ही मिलता है उसे अल्लाह,ना ही कोई खुदा।
ऐसा करवानेवाले खुद तो बैठे बैठे तमाशा देखेंगे,
कुर्सी,होद्दा अपना मान मतरबा बढ़ाएंगे,
ऐशो-आरामकी ज़िंदगी जियेंगे पर तुजे मरवाएँगे।
समजो वालिदैनो,ये जिम्मेदारी आपकी है,
समजाओ अपने बच्चोको,ना जाने दो आतंकके दलदलमे,
बहके नहीं जूठी बातोमे,फंसे नहीं आतंकिओंकि जूठी साज़िशोमे,
जरा जगाओ अपने ज़मीरको,सुनो दिलकी बातोंको
समजाओ की सोच समजके रखे कदम, क्युकी वो लोग
खुद तो बैठे बैठे तमाशा देखेंगे,
कुर्सी,होद्दा अपना मान मतरबा बढ़ाएंगे,
ऐशो-आरामकी ज़िंदगी जियेंगे पर तुजे मरवाएँगे।
ज़िन्दगी है बड़ी अनमोल,प्यार करनेके लिए भी कम पड़े ये जीवन,
वहाँ नफरत करनी क्युँ ? आतंक फैलाके जान किसीकी लेनी क्युँ ?
बजाओ फर्ज इन्सानियतका , इन्सानियतसे बड़ा ना धर्म दूजा।
. . . . .. ज्यूथिका . . . . .