क्या गम है

by RAHULCHARAN0190 on February 22, 2010, 12:01:34 AM
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RAHULCHARAN0190
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जो तुझे है इनकार तो क्या गम है,
तुझ से इश्क करना मेरी खता थी,
जो मैं हूँ सबबवार तो क्या गम है,
न आई कोई बहार न हुआ कोई गुलशन हरा ,
ये माटी है बेजार तो क्या गम है,
मैं क्यूँ कहूँ मुझे साहिल न मिला ,
मेरी कश्ती है बेपतवार तो क्या गम है,
मुझे ही थी तेरी ज़रुरत मेरे हर इक पल में ,
जो तुझे न हो मेरी दरकार तो क्या गम है,
शायद इश्क का दूजा नाम ही है "ज़िल्मत का ज़हां",
जो तू करे जुल्म और सह मैं जाऊं हरबार तो क्या गम है,
ढलेगी धुप तो खो जायेंगे साये यहाँ भी "राहुल",
होती ही है जो शाम आख़िरकार तो क्या गम है..........
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guhar
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«Reply #1 on: February 22, 2010, 01:21:31 AM »
जो तुझे है इनकार तो क्या गम है,
तुझ से इश्क करना मेरी खता थी,
जो मैं हूँ सबबवार तो क्या गम है,
न आई कोई बहार न हुआ कोई गुलशन हरा ,
ये माटी है बेजार तो क्या गम है,
मैं क्यूँ कहूँ मुझे साहिल न मिला ,
मेरी कश्ती है बेपतवार तो क्या गम है,
मुझे ही थी तेरी ज़रुरत मेरे हर इक पल में ,
जो तुझे न हो मेरी दरकार तो क्या गम है,
शायद इश्क का दूजा नाम ही है "ज़िल्मत का ज़हां",
जो तू करे जुल्म और सह मैं जाऊं हरबार तो क्या गम है,
ढलेगी धुप तो खो जायेंगे साये यहाँ भी "राहुल",
होती ही है जो शाम आख़िरकार तो क्या गम है..........

waah,,,chha gaye guru..likhte rehna
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