..क्या मुझे प्यार का सलीका भी नहीं आया था ?? (^_^) || मनसा ||

by Manish Kumar Khedawat on June 23, 2011, 01:53:52 PM
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Manish Kumar Khedawat
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जब उसने कहा था मुझसे , मैं चाहती हूँ किसी और को ,  icon_silent
"तुम्हारी खुशी सबसे ऊपर है मेरे लिए" शब्द बस इत्ते ही निकाल पाया था |

लिखा था उसका नाम कमरे के हर कोने में , चूमता था हरदिन उन्हे ,
गम की उस रात , मैंने हर नाम को चूम चूम के मिटाया था || love9

कल शादी थी उसकी , बुलाया नहीं था उसने , मैं गया फिर भी , crybaby2
जिन हाथों से देता था तोहफा , उन्हीं से बरातियों का सोफा सजा के आया था ||

मुझे तो गिला भी नहीं की आज उसे मैं याद भी न रहा , tearyeyed
उसकी मोहब्बत में , मैं भी तो सारे जहाँ को भुला के आया था ||

उससे तो मैं बेवफाई का हिसाब माँगने क़ाबिल भी न हो सका , sad7
उसके इश्क़ के आगोश में , मैं भी तो कई दिल तोड़ के आया था ||

बस एक ख़याल ने उसकी मोहब्बत में ज़ान फ़ना होने से बचा ली , angel11
उसे शायद मिल जाए दूजा , पर माँ को मैं बड़ी मन्नतों से मिल पाया था ||

जिनकी चाह था मैं , उन अपनों को छोड़ भागा था मैं उस गैर के पीछे , DOH
लोग कहते हैं , " मनसा " तूझे तो प्यार का सलीका भी नहीं आया था ||


||  icon_king मनसा icon_king ||




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«Reply #1 on: June 23, 2011, 03:55:43 PM »


जब उसने कहा था मुझसे , मैं चाहती हूँ किसी और को ,  icon_silent
"तुम्हारी खुशी सबसे ऊपर है मेरे लिए" शब्द बस इत्ते ही निकाल पाया था |

लिखा था उसका नाम कमरे के हर कोने में , चूमता था हरदिन उन्हे ,
गम की उस रात , मैंने हर नाम को चूम चूम के मिटाया था || love9

कल शादी थी उसकी , बुलाया नहीं था उसने , मैं गया फिर भी , crybaby2
जिन हाथों से देता था तोहफा , उन्हीं से बरातियों का सोफा सजा के आया था ||

मुझे तो गिला भी नहीं की आज उसे मैं याद भी न रहा , tearyeyed
उसकी मोहब्बत में , मैं भी तो सारे जहाँ को भुला के आया था ||

उससे तो मैं बेवफाई का हिसाब माँगने क़ाबिल भी न हो सका , sad7
उसके इश्क़ के आगोश में , मैं भी तो कई दिल तोड़ के आया था ||

बस एक ख़याल ने उसकी मोहब्बत में ज़ान फ़ना होने से बचा ली , angel11
उसे शायद मिल जाए दूजा , पर माँ को मैं बड़ी मन्नतों से मिल पाया था ||

जिनकी चाह था मैं , उन अपनों को छोड़ भागा था मैं उस गैर के पीछे , DOH
लोग कहते हैं , " मनसा " तूझे तो प्यार का सलीका भी नहीं आया था ||


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Bahuttttt bahuttttt Khoooob Manishji

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«Reply #2 on: June 24, 2011, 01:20:13 AM »
VERY NICE


जब उसने कहा था मुझसे , मैं चाहती हूँ किसी और को ,  icon_silent
"तुम्हारी खुशी सबसे ऊपर है मेरे लिए" शब्द बस इत्ते ही निकाल पाया था |

लिखा था उसका नाम कमरे के हर कोने में , चूमता था हरदिन उन्हे ,
गम की उस रात , मैंने हर नाम को चूम चूम के मिटाया था || love9

कल शादी थी उसकी , बुलाया नहीं था उसने , मैं गया फिर भी , crybaby2
जिन हाथों से देता था तोहफा , उन्हीं से बरातियों का सोफा सजा के आया था ||

मुझे तो गिला भी नहीं की आज उसे मैं याद भी न रहा , tearyeyed
उसकी मोहब्बत में , मैं भी तो सारे जहाँ को भुला के आया था ||

उससे तो मैं बेवफाई का हिसाब माँगने क़ाबिल भी न हो सका , sad7
उसके इश्क़ के आगोश में , मैं भी तो कई दिल तोड़ के आया था ||

बस एक ख़याल ने उसकी मोहब्बत में ज़ान फ़ना होने से बचा ली , angel11
उसे शायद मिल जाए दूजा , पर माँ को मैं बड़ी मन्नतों से मिल पाया था ||

जिनकी चाह था मैं , उन अपनों को छोड़ भागा था मैं उस गैर के पीछे , DOH
लोग कहते हैं , " मनसा " तूझे तो प्यार का सलीका भी नहीं आया था ||


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«Reply #3 on: June 24, 2011, 05:18:46 AM »

Manish Ji,

Nice thoughts..keep it up
All the best.

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Manish Kumar Khedawat
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«Reply #4 on: June 24, 2011, 10:21:11 AM »
zi aap sabhi ka bahut bahut aabhar Usual Smile
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khujli
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«Reply #5 on: June 28, 2011, 12:26:01 PM »


जब उसने कहा था मुझसे , मैं चाहती हूँ किसी और को ,  icon_silent
"तुम्हारी खुशी सबसे ऊपर है मेरे लिए" शब्द बस इत्ते ही निकाल पाया था |

लिखा था उसका नाम कमरे के हर कोने में , चूमता था हरदिन उन्हे ,
गम की उस रात , मैंने हर नाम को चूम चूम के मिटाया था || love9

कल शादी थी उसकी , बुलाया नहीं था उसने , मैं गया फिर भी , crybaby2
जिन हाथों से देता था तोहफा , उन्हीं से बरातियों का सोफा सजा के आया था ||

मुझे तो गिला भी नहीं की आज उसे मैं याद भी न रहा , tearyeyed
उसकी मोहब्बत में , मैं भी तो सारे जहाँ को भुला के आया था ||

उससे तो मैं बेवफाई का हिसाब माँगने क़ाबिल भी न हो सका , sad7
उसके इश्क़ के आगोश में , मैं भी तो कई दिल तोड़ के आया था ||

बस एक ख़याल ने उसकी मोहब्बत में ज़ान फ़ना होने से बचा ली , angel11
उसे शायद मिल जाए दूजा , पर माँ को मैं बड़ी मन्नतों से मिल पाया था ||

जिनकी चाह था मैं , उन अपनों को छोड़ भागा था मैं उस गैर के पीछे , DOH
लोग कहते हैं , " मनसा " तूझे तो प्यार का सलीका भी नहीं आया था ||


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