दर्द – ए – दिल

by amitdehati on June 07, 2013, 10:21:23 PM
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amitdehati
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मुझे लगता है की दिल पे किसी का जोर नहीं है ,बार – बार चोट खता है फिर भी नहीं सम्हलता. गिरता है ,उठता है फिर भी चलता जाता है .क्या मुहब्बत इस कदर बेरहम होती है. अगर बेरहम होती है तो दर्द की देवता कहने में मुझे कुरेज़  नहीं. आगे मैं कुछ हाले दिल कहा है शायद ऐसा ही होता है . आपलोग पढेंगे तो कोई पुरानी स्टोरी आँखों  में घुमने लगेगी .दर्द होगा मुझे पता है लेकिन  उसके लिए माफ़ी ! सच्चाई से मुह नहीं मोड़ा जा सकता न .
अगर पसंद आये तो हौसला अफजाई करियेगा !

जिंदगी में बहुत से यार मिलेगे,
हमसे अच्छे हजार मिलेंगे ,
इन अच्छो की भीड़ में हमे मत भुलाना ,
हम कहाँ आपको बार- बार मिलेंगे .


मुझे आप लोंगो की प्रतिक्रिया की अपेक्षा है , और हाँ अगर आपलोगों को कही त्रुटी मिले

इसमें तो कृपया सुझाव दे .तहे दिल से स्वागत है.  ये मेरी अविश्वशनीय कोशिस   है .


वो ख़ता करके भी बेकसूर  बने फिरते हैं  ,
हमने हालात-ए- दिल कहा तो कसूरवार हुआ.
 नकाब-ए -चेहरे से हटने नहीं दिया काफिर,
यहाँ हर सच को अब जीना भी दुश्वार  हुआ  .


बड़ी मुद्दत से आँखों ने तराशा जिनको  ,
उन्ही के चाह में ये दिल भी बेक़रार हुआ.


सराखों पे लिए फिरते थे जो तस्वीर मेरी,
उन्ही को आज मुहब्बत मेरी इंकार हुआ .


कभी हरवक्त नजरें गडाए रहती थी ,
आज गुज़री तो मुहब्बत भी शर्मशार हुआ .


ज़लाके  दिल को अपने  ख़ाक में मिला डाला ,
फिर भी उस  बेवफ़ा   को न  ऐतबार  हुआ .


अगर महबूब को चाहना गुनाह है यारों,
पूछों अपने  भी दिल से क्यूँ ये खतावार हुआ.


यहाँ हर लोग दीवाना  मुझे कह देते हैं ,
आज उनके लिए “देहाती” भी गवांर  हुआ .

                      अमित देहाती
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NeelamJ
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«Reply #1 on: June 07, 2013, 10:53:48 PM »
bahut khoob likha Amitji
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: June 07, 2013, 11:55:45 PM »
Bahut Khoob! Applause Applause Applause Applause
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sksaini4
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«Reply #3 on: June 08, 2013, 09:48:06 AM »
waah waah
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khujli
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«Reply #4 on: June 08, 2013, 11:38:25 AM »
मुझे लगता है की दिल पे किसी का जोर नहीं है ,बार – बार चोट खता है फिर भी नहीं सम्हलता. गिरता है ,उठता है फिर भी चलता जाता है .क्या मुहब्बत इस कदर बेरहम होती है. अगर बेरहम होती है तो दर्द की देवता कहने में मुझे कुरेज़  नहीं. आगे मैं कुछ हाले दिल कहा है शायद ऐसा ही होता है . आपलोग पढेंगे तो कोई पुरानी स्टोरी आँखों  में घुमने लगेगी .दर्द होगा मुझे पता है लेकिन  उसके लिए माफ़ी ! सच्चाई से मुह नहीं मोड़ा जा सकता न .
अगर पसंद आये तो हौसला अफजाई करियेगा !

जिंदगी में बहुत से यार मिलेगे,
हमसे अच्छे हजार मिलेंगे ,
इन अच्छो की भीड़ में हमे मत भुलाना ,
हम कहाँ आपको बार- बार मिलेंगे .


मुझे आप लोंगो की प्रतिक्रिया की अपेक्षा है , और हाँ अगर आपलोगों को कही त्रुटी मिले

इसमें तो कृपया सुझाव दे .तहे दिल से स्वागत है.  ये मेरी अविश्वशनीय कोशिस   है .


वो ख़ता करके भी बेकसूर  बने फिरते हैं  ,
हमने हालात-ए- दिल कहा तो कसूरवार हुआ.
 नकाब-ए -चेहरे से हटने नहीं दिया काफिर,
यहाँ हर सच को अब जीना भी दुश्वार  हुआ  .


बड़ी मुद्दत से आँखों ने तराशा जिनको  ,
उन्ही के चाह में ये दिल भी बेक़रार हुआ.


सराखों पे लिए फिरते थे जो तस्वीर मेरी,
उन्ही को आज मुहब्बत मेरी इंकार हुआ .


कभी हरवक्त नजरें गडाए रहती थी ,
आज गुज़री तो मुहब्बत भी शर्मशार हुआ .


ज़लाके  दिल को अपने  ख़ाक में मिला डाला ,
फिर भी उस  बेवफ़ा   को न  ऐतबार  हुआ .


अगर महबूब को चाहना गुनाह है यारों,
पूछों अपने  भी दिल से क्यूँ ये खतावार हुआ.


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आज उनके लिए “देहाती” भी गवांर  हुआ .

                      अमित देहाती


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saahill
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«Reply #5 on: June 08, 2013, 11:39:36 AM »
bohut khub amit very nice
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Mohammad Touhid
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«Reply #6 on: June 08, 2013, 12:23:15 PM »
bahut bahut khoob amit ji.. Usual Smile
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nandbahu
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«Reply #7 on: June 08, 2013, 02:26:58 PM »
bahut khoob
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