लाचार हूं मैं....

by Minakshi vats on February 27, 2014, 02:16:07 AM
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Minakshi vats
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लाचार हूं मैं....
शिक्षित हूं सुशक्षित हूं पर लाचार हूं मैं,
चंद रीती चंद रिवाजो की शिकार हूं मैं,
आज भी आवाज उठती है मेरे दहलीज लाघने पर,
और समाज कहता है आजाद हूं मैं....
शिक्षित हूं....
आज भी मुझे जन्म देकर मां आहें भरती है,
खुशी नही चेहरे पे, बाबा की नजरे झुकती है,
जो रौशन ना कर सके कभी वंश इनका,
हां वही बुझा हुआ चिराग हूं मैं,
शिक्षित हूं...
आज भी दुल्हन बन किसी की जिंदगी सजाती हूं,
कर अपना आंगन सुनसान किसी का घर
महकाती हूं,
निभाती हूं अपने हर फर्ज ओ संस्कार इनके,
क्या र्सिफ बिंदी चुडी और दीवारो की हकदार हूं मैं,
शिक्षित हूं...
आज भी चंद फेरो मे मेरी जिंदगी पलट जाती हैं,
मेरी हस्ती फिर किसी के अस्तीतव में जुड जाती हैं,
खो देती हूं वजूद अपना इक नई पहचान की खातिर,
पर क्या र्सिफ दहेज और दान में मिला सामान हूं
मैं...
शिक्षित हूं सुशक्शित हूं पर लाचार हूं मैं,
चंद रीती चंद रीवाजो की शिकार हूं मैं,आज
भी आवाज उठती है मेरे दहलीज लांघने पर,
और समाज कहता है आजाद हूं मैं,
शिक्षित हूं सुशक्षित हूं पर लाचार हूं मैं..

 मिनाक्षी वत्स "निशा"
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #1 on: February 27, 2014, 04:02:40 AM »

लाचार हूं मैं....
शिक्षित हूं सुशक्षित हूं पर लाचार हूं मैं,
चंद रीती चंद रिवाजो की शिकार हूं मैं,
आज भी आवाज उठती है मेरे दहलीज लाघने पर,
और समाज कहता है आजाद हूं मैं....
शिक्षित हूं....
आज भी मुझे जन्म देकर मां आहें भरती है,
खुशी नही चेहरे पे, बाबा की नजरे झुकती है,
जो रौशन ना कर सके कभी वंश इनका,
हां वही बुझा हुआ चिराग हूं मैं,
शिक्षित हूं...
आज भी दुल्हन बन किसी की जिंदगी सजाती हूं,
कर अपना आंगन सुनसान किसी का घर
महकाती हूं,
निभाती हूं अपने हर फर्ज ओ संस्कार इनके,
क्या र्सिफ बिंदी चुडी और दीवारो की हकदार हूं मैं,
शिक्षित हूं...
आज भी चंद फेरो मे मेरी जिंदगी पलट जाती हैं,
मेरी हस्ती फिर किसी के अस्तीतव में जुड जाती हैं,
खो देती हूं वजूद अपना इक नई पहचान की खातिर,
पर क्या र्सिफ दहेज और दान में मिला सामान हूं
मैं...
शिक्षित हूं सुशक्शित हूं पर लाचार हूं मैं,
चंद रीती चंद रीवाजो की शिकार हूं मैं,आज
भी आवाज उठती है मेरे दहलीज लांघने पर,
और समाज कहता है आजाद हूं मैं,
शिक्षित हूं सुशक्षित हूं पर लाचार हूं मैं..

 मिनाक्षी वत्स "निशा"

बहुत खूब.
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Miru;;;;
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«Reply #2 on: February 27, 2014, 04:47:24 AM »
waah super one....... Thumbs UP
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RAJAN KONDAL
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«Reply #3 on: February 27, 2014, 10:27:55 AM »
waah waah bahoot khub
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amit_prakash_meet
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«Reply #4 on: February 27, 2014, 01:08:59 PM »
वाह....वाह....बेहद खूबसूरती से एक नारी के ज़ज्बात को सामने रखा है....बहुत बहुत मुबारकबाद और इस प्रयास के लिये ढेरों दाद....
सदा खुश रहिये और लिखती रहिये....
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annu_genis
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«Reply #5 on: February 27, 2014, 01:37:34 PM »

Bahut achchi Kavita likhi hai.. aapne!

Thought provoking!
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Minakshi vats
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«Reply #6 on: February 27, 2014, 04:54:35 PM »
आभार आप सभी का happy9
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