mulaqaat

by alfaaz on July 15, 2013, 11:13:15 AM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 659 times)
alfaaz
Guest
Reply with quote
मैखाने से रुखसत मिली
तो किसी को बाहर खडा पाया
मुसकराके पास आया
कहने लगा मैं खुदा हुं, कुछ याद आया?

कहने लगा आपको लेने आया हूं
आपको खंदा देने आया हूं
हमने भी सोचा थोडी दिल्लगी कर ले
मेरे जनाजे पे आने से उसे मना कर दे

खुदा तो खुदा ठहरा
अपनी बात पर अडा रहा
उस्से बचने का कोई सबब न मिला
तो पैमाना खाली करके उसके साथ चला

मैंने कहा ये बाजी तुम्हारी रही
आज तेरी दावेदारी सही
पर ये सिलसिला अभी खत्म नही हुआ
ये मसला अभी दफ़न नही हुआ


सोचा इस्से पह्ले कि  वो कुछ पुछे
ह्म उस्से जवाब लेंगे
ह्मको बनाने से पह्ले
क्या सोचा था ये जान लेंगे



फिर मुस्करा कर पुछने  लगा कैसे बिती जनाब?
हमको पता चला  बनिया मांग रहा है  हिसाब
अंगारों पे हमे  इतने दिन चलाकर
जख्मों पे नमक लगा रहा था रगड रगडकर

हमने कहा उस खंजर से गिला नही हमको
जिस्से उस कातिल ने वार किया था
पर उस मंजर से परेशानी है हमको
कि वो हाथ तूम्हारा था

किसिको जवाब देना उसकी फ़ित्रत नही थी
शराब हमारी  पुरी हरकत मे  थी
गुस्से से लाल पीला हो गया
हमारी मौत हमने पुरा  वसुल लिया

दोजख मे रवांगी का हुकुम दिया
उसकी मासूमी देख हमे मेहसूस हुआ
जिस दुनिया से उठा लाया था ह्मको
दोजख से कम दिख रहा था उस्को

पर जाते जाते एक मैखाना  उस्से जरुर मागेंगे
आप जैसे दोस्तों को दोजख में खुब पिलायेंगे











Logged
Similar Poetry and Posts (Note: Find replies to above post after the related posts and poetry)
Mulaqaat by faisal314 in Ghazals
mulaqaat by saahill in Shayri for Khumar -e- Ishq
mulaqaat by saahill in Shayri for Khumar -e- Ishq
mulaqaat by saahill in Shayri-E-Dard
MULAQAAT HO JAANE DO by saahill in Shayri for Khumar -e- Ishq
nandbahu
Mashhur Shayar
***

Rau: 122
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
20 days, 3 hours and 19 minutes.
Posts: 14552
Member Since: Sep 2011


View Profile
«Reply #1 on: July 15, 2013, 01:54:28 PM »
Reply with quote
bahut khoob
Logged
sksaini4
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 853
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
112 days, 8 hours and 51 minutes.
Posts: 36414
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #2 on: July 15, 2013, 01:57:03 PM »
Reply with quote
waah
Logged
Shuruti
Guest
«Reply #3 on: July 15, 2013, 03:11:38 PM »
Reply with quote
मैखाने से रुखसत मिली
तो किसी को बाहर खडा पाया
मुसकराके पास आया
कहने लगा मैं खुदा हुं, कुछ याद आया?

कहने लगा आपको लेने आया हूं
आपको खंदा देने आया हूं
हमने भी सोचा थोडी दिल्लगी कर ले
मेरे जनाजे पे आने से उसे मना कर दे

खुदा तो खुदा ठहरा
अपनी बात पर अडा रहा
उस्से बचने का कोई सबब न मिला
तो पैमाना खाली करके उसके साथ चला

मैंने कहा ये बाजी तुम्हारी रही
आज तेरी दावेदारी सही
पर ये सिलसिला अभी खत्म नही हुआ
ये मसला अभी दफ़न नही हुआ


सोचा इस्से पह्ले कि  वो कुछ पुछे
ह्म उस्से जवाब लेंगे
ह्मको बनाने से पह्ले
क्या सोचा था ये जान लेंगे



फिर मुस्करा कर पुछने  लगा कैसे बिती जनाब?
हमको पता चला  बनिया मांग रहा है  हिसाब
अंगारों पे हमे  इतने दिन चलाकर
जख्मों पे नमक लगा रहा था रगड रगडकर

हमने कहा उस खंजर से गिला नही हमको
जिस्से उस कातिल ने वार किया था
पर उस मंजर से परेशानी है हमको
कि वो हाथ तूम्हारा था

किसिको जवाब देना उसकी फ़ित्रत नही थी
शराब हमारी  पुरी हरकत मे  थी
गुस्से से लाल पीला हो गया
हमारी मौत हमने पुरा  वसुल लिया

दोजख मे रवांगी का हुकुम दिया
उसकी मासूमी देख हमे मेहसूस हुआ
जिस दुनिया से उठा लाया था ह्मको
दोजख से कम दिख रहा था उस्को

पर जाते जाते एक मैखाना  उस्से जरुर मागेंगे
आप जैसे दोस्तों को दोजख में खुब पिलायेंगे












bhaijan bhot khub,really great.
Logged
Advo.RavinderaRavi
Guest
«Reply #4 on: July 16, 2013, 12:18:26 AM »
Reply with quote
मैखाने से रुखसत मिली
तो किसी को बाहर खडा पाया
मुसकराके पास आया
कहने लगा मैं खुदा हुं, कुछ याद आया?

कहने लगा आपको लेने आया हूं
आपको खंदा देने आया हूं
हमने भी सोचा थोडी दिल्लगी कर ले
मेरे जनाजे पे आने से उसे मना कर दे

खुदा तो खुदा ठहरा
अपनी बात पर अडा रहा
उस्से बचने का कोई सबब न मिला
तो पैमाना खाली करके उसके साथ चला

मैंने कहा ये बाजी तुम्हारी रही
आज तेरी दावेदारी सही
पर ये सिलसिला अभी खत्म नही हुआ
ये मसला अभी दफ़न नही हुआ


सोचा इस्से पह्ले कि  वो कुछ पुछे
ह्म उस्से जवाब लेंगे
ह्मको बनाने से पह्ले
क्या सोचा था ये जान लेंगे



फिर मुस्करा कर पुछने  लगा कैसे बिती जनाब?
हमको पता चला  बनिया मांग रहा है  हिसाब
अंगारों पे हमे  इतने दिन चलाकर
जख्मों पे नमक लगा रहा था रगड रगडकर

हमने कहा उस खंजर से गिला नही हमको
जिस्से उस कातिल ने वार किया था
पर उस मंजर से परेशानी है हमको
कि वो हाथ तूम्हारा था

किसिको जवाब देना उसकी फ़ित्रत नही थी
शराब हमारी  पुरी हरकत मे  थी
गुस्से से लाल पीला हो गया
हमारी मौत हमने पुरा  वसुल लिया

दोजख मे रवांगी का हुकुम दिया
उसकी मासूमी देख हमे मेहसूस हुआ
जिस दुनिया से उठा लाया था ह्मको
दोजख से कम दिख रहा था उस्को

पर जाते जाते एक मैखाना  उस्से जरुर मागेंगे
आप जैसे दोस्तों को दोजख में खुब पिलायेंगे












बहुत खूब भाई वाह वाह !!!!
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
March 29, 2024, 07:09:02 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by ASIF
[March 24, 2024, 04:34:54 AM]

by ASIF
[March 24, 2024, 04:30:44 AM]

by ASIF
[March 24, 2024, 04:26:39 AM]

by ASIF
[March 23, 2024, 08:50:46 AM]

[March 21, 2024, 08:02:59 PM]

[March 21, 2024, 07:59:38 PM]

[March 17, 2024, 02:01:29 PM]

[March 16, 2024, 03:26:05 PM]

[March 16, 2024, 03:25:04 PM]

[March 16, 2024, 03:21:26 PM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.153 seconds with 25 queries.
[x] Join now community of 8502 Real Poets and poetry admirer